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Showing posts from December, 2009

मेरी शिक्षा-तेरी शिक्षा

फिर से एग्ज़ाम शुरु होने वाले हैं, रोज-रोज की इस बला से अब उक्ताहट भी होने लगी है। कभी-कभी लगता है कि एग्ज़ाम बंद हो जाने चाहिएं, लेकिन फिर सोचता हूं कि बौद्धिक स्तर को जांचने का इससे बेहतर विकल्प और क्या हो सकता है। शायद यही कारण है कि शिक्षाविद एग्जाम्स को आउट-कास्ट करने से बचते रहे हैं, लेकिन क्या वाकई?     इम्तिहान या एग्ज़ाम ऐसे दानव का नाम है जो शुरु से बच्चों को डराता आया है। कारण शायद विषय पर कमजोर पकड़ भी या फिर कम समय में बहुत ज्यादा ठूंसने की मजबूरी, या फिर फेल हो जाने का डर। एग्जाम सिरदर्द ज्यादा बनते हैं, बच्चों के लिए भी और शिक्षकों के लिए भी। कोर्स खत्म करवाने से लेकर, उत्तर जांचने सरीखे बहुत से काम होते हैं जो परेशानी का सबब बनते हैं। इतनी सारी परेशानियां होते हुए भी एग्जाम सबसे ज्यादा उम्दा तरीका समझा जाता है। इसके बहुत से कारण हो सकते हैं, सबसे प्रमुख तो यह कि हमारे देश में कोई एकीकृत शिक्षा प्रणाली नहीं है, डीपीएस जैसे स्कूल होने के बावजूद भी बच्चे गांवों और कस्बों के इंटर कॉलेजों में जाया करते हैं! वाकई कितनी अजीब बात है, मैरी अंतोनेत जिंदा होती तो शायद यही कहत